भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? पूरी चुनाव प्रक्रिया

 भारत के राष्ट्रपति को भारत का सर्वोच्च संवैधानिक पद माना जाता है। राष्ट्रपति न केवल देश का प्रतीकात्मक प्रमुख होता है, बल्कि भारतीय संविधान के तहत उसे कई महत्त्वपूर्ण अधिकार भी प्राप्त होते हैं। लेकिन बहुत से लोगों को यह नहीं पता होता कि भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है। आइए, इस ब्लॉग में हम विस्तार से समझते हैं कि यह चुनाव किस प्रकार से संपन्न होता है।







राष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया


भारत में राष्ट्रपति को राष्ट्र का प्रधान संवैधानिक अधिकारी माना जाता है। यह पद केवल एक औपचारिक भूमिका नहीं, बल्कि संविधान द्वारा प्रदत्त कई आवश्यक शक्तियों और जिम्मेदारियों से युक्त होता है। राष्ट्रपति देश की एकता और गरिमा का प्रतीक होता है।


हालांकि, बहुत से लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि राष्ट्रपति का चयन कैसे होता है। इस लेख में हम समझेंगे कि भारत के राष्ट्रपति का चुनाव किन प्रक्रियाओं के अनुसार संपन्न होता है और इसमें कौन-कौन भाग लेता है। यह जानकारी हर नागरिक के लिए उपयोगी है, विशेष रूप से उन छात्रों के लिए जो प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं।


वोटिंग सिस्टम: समानुपातिक प्रतिनिधित्व

इस चुनाव में प्रोपोर्शनल रिप्रेजेंटेशन (Proportional Representation) प्रणाली का उपयोग किया जाता है, जो एक विशेष प्रकार का सिंगल ट्रांसफरबल वोट सिस्टम (STV) है। इसमें प्रत्येक विधायक और सांसद के वोट का अलग-अलग मूल्य (value) होता है।

विधायक के वोट का मूल्य:

विधायक के वोट की वैल्यू इस फार्मूले से तय होती है:

राज्य की जनसंख्या / राज्य की विधानसभा में निर्वाचित सदस्यों की संख्या) ÷ 1000

सांसद के वोट का मूल्य:


हर सांसद के मत का मूल्य इस तरह तय किया जाता है कि सभी विधायकों के कुल मत-मूल्य को संसद के निर्वाचित सदस्यों की संख्या से विभाजित किया जाता है।"

चुनाव कब होता है?


राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है। चुनाव कार्यकाल समाप्त होने से पहले करवा लिया जाता है ताकि नया राष्ट्रपति समय पर पद ग्रहण कर सके।

राष्ट्रपति बनने के लिए योग्यता:


1. चुनाव में खड़े होने  वाले की आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।

2. वह भारत का नागरिक होना चाहिए।

3. वह लोकसभा का सदस्य बनने के योग्य होना चाहिए।

4. उसके पास संसद के कम से कम 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक होने चाहिए।

निष्कर्ष (Conclusion):


भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एक सुव्यवस्थित और लोकतांत्रिक प्रक्रिया है। यह न केवल संविधान की जटिलताओं को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि किस तरह से भारतीय लोकतंत्र में प्रत्येक राज्य और संसद की भूमिका महत्वपूर्ण है। ऐसे विषय प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी अत्यंत उपयोगी होते हैं।




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